हमास के भीषण हमले से कमजोर पड़ी इजरायल की साख, क्या ब्रैंड इजरायल को वापस चमका सकेंगे नेतन्याहू?

इजरायल अपने आप में एक ब्रैंड है। बहुत मजबूत। दूरदर्शी नेताओं ने रेगिस्तान से एक अत्याधुनिक देश का निर्माण किया। एक यहूदी मातृभूमि जहां धरती के दुखी और सताए गए लोगों को सुरक्षित आश्रय मिला है। 

ऐसे लोग जो इतिहास को दोहराने नहीं देना चाहते हैं, उन दुश्मनों के खिलाफ अपने बचाव को चौतरफा तैयार हैं जो उन्हें समुद्र में फेंक देना चाहते हैं। 

कड़ी सीमा सुरक्षा, टॉप क्लास की निगरानी प्रणाली, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में अव्वल, आगे बढ़कर हमले, राजनीतिक हत्याएं, साहसी बचाव, यह सब और बहुत कुछ मिलकर इजरायली ब्रैंड का निर्माण करते हैं। 

यह वह ब्रैंड था जिसे सिमखा टोरा (Simchat Torah) की सुबह एक विनाशकारी झटका लगा। सिमखा टोरा यहूदियों के सबसे पवित्र दिनों में से एक होता है। 

इस दिन धर्मनिष्ठ यहूदी टोरा के उस अध्याय का वार्षिक पाठ पूरा करते हैं और पूरा दिन प्रार्थना और चिंतन में बिताते हैं। 

पचास साल पहले, लगभग इसी दिन, यॉम किपुर (Yom Kippur) के पवित्र दिन, मिस्र और सीरिया के नेतृत्व में अरब सेनाओं के गठबंधन ने इजरायली सेनाओं को हैरत में डाल दिया था। 

लेकिन वह युद्ध वर्दीधारी सैनिकों के बीच था। इस शनिवार का हमला बिल्कुल अलग था। 

हमास ने भोर में गाजा पट्टी से इजरायल में हजारों रॉकेट दागे और सैकड़ों आतंकवादी इजरायल से पट्टी को अलग करने वाली बाड़ में कई जगहों से घुस गए। 

इनमें ज्यादातर सीमा से सटे इजरायली बाशिंदों को मारने और उनका अपहरण करने के उद्देश्य से आए। रॉकेटों की बौछार इतनी तीव्र थी कि कुछ ने फेसम आयरन डोम को तोड़ दिया और यरूशलम तक हमले हुए।

अपनी चुस्ती-फुर्ती के लिए दुनियाभर में मशहूर इजरायली सेनाएं कहीं नजर नहीं आईं। उसकी लिजेंड्री इंटेलिजेंस सर्विसेज भी पूरी तरह चूक गई, इसके बावजूद कि इतने बड़े हमले की तैयारी महीनों से हो रही होगी। 

इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस फौरी संकट से ध्यान हटने के बाद इस चौंकाने वाली विफलता की पूरी समीक्षा की जाएगी। 

हालांकि यह तथ्य अपनी जगह कायम है कि वर्तमान इजरायली सरकार की नीतियों में चरमपंथी और अति-राष्ट्रवादी व्यक्तित्व शामिल हैं, जिन्होंने देश में गहरी दरार पैदा कर दी है, खासकर न्यायिक सुधारों के मुद्दे पर।

नौ महीनों से अधिक समय से सड़क पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों में सशस्त्र बल कर्मियों सहित समाज के सभी वर्गों को शामिल किया गया है। 

वेस्ट बैंक में बढ़े हुए तनाव और फिलिस्तीनी समूहों के साथ बार-बार होने वाली झड़पों का यह भी मतलब है कि देश के बाकी हिस्सों की कीमत पर वहां बड़े पैमाने पर कार्मिक और खुफिया संसाधनों को तैनात किया गया है।

अभी सोशल मीडिया दहला देने वाली तस्वीरों और मारे जा रहे लोगों की बढ़ती संख्या की खबरों से अंटा पड़ा है। यह लेख लिखते वक्त कम-से-कम 600 इजरायली मारे जा चुके थे और मृतकों की संख्या बढ़ ही रही थी। 

वहीं, 2,000 घायल हुए हैं। यह छोटी इजरायली आबादी के लिए बड़ा आंकड़ा है। वहीं, फिलिस्तीनी पक्ष से 300 लोगों के मारे जाने और 1,700 के घायल होने की खबर आई है। 

संभवतः सौ इजरायलियों जिनमें आम नागरिक और सैनिक दोनों हैं, को हमास ने बंधक बना लिया। 

यह आने वाले दिनों में सबसे दर्दनाक और जटिल पहलू साबित हो सकता है, जैसा कि अक्सर होता है- बंधक सौदेबाजी के हथियार बन जाते हैं।

इजरायल की तरफ से हमास के हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया जारी है। इस आतंकी हमले की तुलना पर्ल हार्बर या 9/11 से की जा रही है। कहा जा रहा है कि वक्त बीतने के साथ ही इजरायल का ऐक्शन और कड़ा होगा।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने पहले ही घोषणा कर दी है कि यह इजरायल के खिलाफ युद्ध है। उनकी सरकार ने रिजर्व सैनिकों को बुला लिया है। 

पीएम नेतन्याहू ने वादा किया है कि गाजा को 'ऐसी कीमत चुकानी होगी जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा' और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने 'गाजा में जमीनी हालात बदलने' की कसम खाई है। 

जमीनी आक्रमण और यहां तक कि गाजा पर इजरायल के कब्जे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

इजरायली अधिकारी दक्षिणी इजरायल से नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जा रहे हैं, जिससे पता चलता है कि आगे कितना भयावह ऑपरेशन हो सकता है। 

वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में अन्य संभावित हमास समर्थकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी है।

 उत्तर में हिज्बुल्लाह ने शेबा फार्म में इजरायली ठिकानों पर मोर्टार से हमले किए जिसका इजरायल ने तोपखाने से जवाब दिया।

वर्तमान में इस बात के सभी संकेत मिल रहे हैं कि इजरायल और हमास के बीच लंबा और भीषण संघर्ष होगा। 

अपने हमले की सफलता के बाद हमास नेताओं के बयानों से यह भी संकेत मिलता है कि वो भी आगे की लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 

कानूनी आरोपों का सामना कर रहे और अति-राष्ट्रवादी एवं दक्षिणपंथी साथियों की मदद से सत्ता पर काबिज रहे नेतन्याहू के लिए न केवल इजरायल के महान रक्षक के रूप में अपनी बल्कि पूरे राजनीतिक 

और सुरक्षा प्रतिष्ठान की प्रतिष्ठा बचाने का एकमात्र रास्ता हमास को सबक सिखाना होगा। इसके लिए उन्हें एक आपातकालीन यूनिटी गवर्नमेंट की जरूरत पड़ेगी। 

तब उन्हें अपने चरमपंथी साथियों से दूरी बनानी होगी और विपक्षी नेताओं को उनके साथ अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करना होगा।

एक बार फिर, मध्य पूर्व ने कुछ ही घंटों में दुनिया के संघर्ष स्थल रूप में अपनी जगह वापस पा ली है। शांति, सहयोग, पारस्परिक पर्यटन और साझे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के सपने फिर से पृष्ठभूमि में चले जाएंगे। 

मौजूदा हालात इजरायल और सऊदी अरब के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया के लिहाज से भी ठीक नहीं है, जिसके लिए अमेरिका ने खूब मेहनत की है। 

उस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सऊदी अरब की एक बड़ी मांग थी कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव कम हो, साथ ही इजरायली सरकार की ओर से फिलिस्तीनियों को रियायतें दी जाएं। 

हालांकि, हमास के हैरतअंगेज हमले से स्थितियां बिल्कुल उलट हो गई हैं। इजरायल में निकट भविष्य में शांति की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

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